— समाज कल्याण अधिकारी व लोक निर्माण विभाग की टीम ने की गहन जांच, जल्द ही रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी
आजमगढ़। विकासखंड अजमतगढ़ की ग्राम पंचायत भरौली एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है। मनरेगा कार्यों में घपले की शिकायत के बाद जिलाधिकारी आजमगढ़ के निर्देश पर मंगलवार को एक उच्च स्तरीय जांच टीम गांव पहुंची। टीम के ग्राम में प्रवेश करते ही स्थानीय लोगों में हलचल तेज हो गई और तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गईं।
विदित हो कि ग्राम भरौली निवासी एक व्यक्ति ने दिनांक 6 नवम्बर 2024 को जिलाधिकारी आजमगढ़ को शपथपत्र सहित एक शिकायती प्रार्थना पत्र सौंपा था। इसमें ग्राम प्रधान पर मनरेगा के कार्यों में गंभीर वित्तीय अनियमितता, बिना कार्य कराए भुगतान, तथा अभिलेखीय हेरफेर के संगीन आरोप लगाए गए थे।
शिकायत के आलोक में जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण अधिकारी मोतीलाल तथा लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के नेतृत्व में एक जांच दल का गठन किया। मंगलवार को यह टीम पंचायत भवन भरौली पहुंची, जहां ग्राम विकास अधिकारी अखिलेश सोनकर, अभियंता सर्वजीत सिंह, क्षेत्र पंचायत सदस्य शैलेश चौहान तथा शिकायतकर्ता की उपस्थिति में पत्रावली एवं अभिलेखों की गहन जांच की गई।
जांच के दौरान कई ऐसे तथ्य सामने आए जिन्होंने शिकायतकर्ता के आरोपों को बल दिया। देखा गया कि अभिलेखों में दर्शाए गए कार्य स्थल और भौतिक रूप से किए गए कार्यों में भारी अंतर है। अधिकांश कार्य केवल कागजों में दर्ज पाए गए जबकि स्थल पर उनका कोई अता-पता नहीं था। हैरत की बात यह रही कि जिन खेतों में पोखरी निर्माण कार्य दर्शाया गया, उन खेतों के स्वामियों को इसकी जानकारी तक नहीं थी।
स्थानीय प्रतिनिधि व पंचायतकर्मी जहां एक ओर दस्तावेजों के बचाव में लगे रहे, वहीं ग्राम प्रधान व उनके प्रतिनिधि जांच स्थल पर उपस्थित नहीं हुए, जिससे जांच टीम को कई बिंदुओं पर निर्णय लेने में असहजता हुई।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिकारियों के बीच चर्चा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि अधिकांश कार्य या तो पाँच वर्ष पूर्व किए गए थे या फिर किए ही नहीं गए, बावजूद इसके उनके भुगतान का लेखा-जोखा दर्शाया गया है।
जांच के पश्चात समाज कल्याण अधिकारी ने जानकारी दी कि पंचायत सचिव द्वारा उपलब्ध कराए गए अभिलेखों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे शीघ्र ही जिलाधिकारी को प्रेषित किया जाएगा। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जांच रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकलते हैं और प्रशासनिक स्तर पर क्या कार्रवाई अमल में लाई जाती है।
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