आजमगढ़ के अजमतगढ़ ब्लॉक के धौरहरा गांव में 15 अगस्त की दोपहर एक ‘स्पेशल टीम’ ने धावा बोला। मौका था—ग्राम प्रधान के ‘चमत्कारी विकास’ की पड़ताल का! कहानी की शुरुआत एक महीने पहले हुई थी, जब नेसार पुत्र अब्दुल हक और उनके साथियों ने जिलाधिकारी को जनसुनवाई में शिकायत दी थी कि हमारे प्रधान साहब, आफताब उर्फ गुड्डू, ने चकरोड और पोखरी खुदाई जैसे काम कागज़ पर ही करके पैसा निकाल लिया।
शिकायत ने रफ्तार पकड़ी और मामला सगड़ी तहसील के समाधान दिवस तक पहुंचा। नतीजा—आज ब्लॉक से गठित जांच टीम, सहायक कृषि अधिकारी प्रदीप यादव के नेतृत्व में, गांव में उतरी और मनरेगा के 14 कामों का बारीकी से निरीक्षण किया। टीम का निरीक्षण शाम 4 बजे तक चला।
शिकायतकर्ताओं का आरोप साफ था—“गांव में गड्ढे खोदे बिना ही, सरकारी खजाना ‘गड्ढे’ में डाल दिया गया!” वहीं प्रधान आफताब उर्फ गुड्डू का दावा—“सब कुछ ठीक मिला, जांच टीम ने मौके पर कोई गड़बड़ी नहीं पाई।” अब सच्चाई क्या है? एक तरफ शिकायतकर्ता कहते हैं—विकास सिर्फ फ़ाइल में हुआ। दूसरी तरफ प्रधान कहते हैं—सब सही है।जांच अधिकारी प्रदीप यादव ने कहा—“मेरे द्वारा किए गए निरीक्षण की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेजी जाएगी।” यानि, असली ‘फैसला’ अब फाइलों के ‘महाभारत’ में होगा। गांव वाले इंतजार में हैं—देखें, ये मामला ‘पोखरी’ की तरह गहरा होता है या ‘चकरोड’ की तरह लंबा!
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