देवापार ग्रामसभा में शुक्रवार को एक ऐसा नज़ारा देखने को मिला जिसने सिस्टम की "ठसक" और "तंत्र की तपिश" दोनों को उजागर कर दिया। 44 घोटालों की जांच करने आई अधिकारी टीम चिलचिलाती धूप और बढ़ती गर्मी से ऐसी पसीनी-पसीनी हुई कि चार-पांच काम देखकर ही 'भाग खड़े हुए'। मौके पर मौजूद ग्रामीण हक्के-बक्के रह गए और बोले – "धूप से डर गए सरकार के दूत, अब न्याय की उम्मीद किससे?"
दरअसल, समाज कल्याण अधिकारी मोतीलाल की अगुवाई में एक जांच टीम ग्राम पंचायत देवापार में ग्रामीण दुर्गा प्रसाद द्वारा की गई 44 कार्यों की शिकायतों की पड़ताल करने पहुंची थी। साथ में तकनीकी सहायक कृष्णा तिवारी, ग्राम सचिव जितेंद्र कनौजिया, अवर अभियंता निधि श्रीवास्तव भी मौजूद थे। जिलाधिकारी के आदेश पर जांच होनी थी और ग्रामीणों को उम्मीद थी कि आज दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
लेकिन हुआ उल्टा। धूप देख अधिकारी बोले – "भाई साहब, तपन बहुत तेज़ है, जांच अगली बार करेंगे।" और फिर जांच आधी छोड़ कर निकल लिए। ग्रामीण बोले – "तो क्या अब घोटाले भी मौसम देखकर पकड़े जाएंगे?"
शिकायतकर्ता दुर्गा प्रसाद का हाल तो और भी झकझोर देने वाला है। उन्होंने खुलासा किया कि ग्राम प्रधान के खिलाफ शिकायत करने के बाद उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश हुई और उन्हें थाने में बैठा दिया गया। बाद में जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से वो रिहा हो सके और धूप में तपती जांच टीम के बीच खुद तपती धरती पर पहुंच गए।
दुर्गा प्रसाद ने बताया – "सिर्फ 7-8 कार्यों की जांच हो सकी है, बाकी सब लटक गया है। कुछ गड़बड़ियां जरूर मिली हैं लेकिन अगर पूरा मामला देखा जाता तो शायद और भी पोल खुलती। अब हमें जांच से ज्यादा खुद की सुरक्षा की चिंता सता रही है।"
गांववालों का गुस्सा फूटा –"अधूरी जांच, अधूरा न्याय! गर्मी का बहाना बनाकर सरकार क्या आंखें मूंद लेगी?"
गांव के अन्य प्रमुख लोग जैसे संजय राम, संगत कुमार, अनिल सिंह, विजय चौहान समेत कई ग्रामीणों ने अधिकारियों के रवैये को लेकर नाराज़गी जताई। अब सवाल ये उठता है –
• क्या गर्मी भ्रष्टाचार की ढाल बन जाएगी?
• क्या अधिकारी अपने "एसी कमरों" से निकल कर कभी जनता की असल तपिश को महसूस करेंगे?
• और सबसे बड़ा सवाल – क्या जनता का भरोसा हर बार धूप में ही झुलसता रहेगा?
जांच टीम ने दोबारा आने का आश्वासन दिया है, लेकिन देवापार की जनता अब धूप नहीं, ठोस कार्रवाई चाहती है। फिलहाल देवापार की गलियों में एक ही चर्चा है – "गर्मी तो आई-गई होती है, लेकिन घोटालों की तपिश कब बुझेगी?"
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