जब किसान अपने खून-पसीने से उगाई गई गेहूं की फसल की कटाई और मढ़ाई में जुटे हुए थे, तभी मौसम ने करवट ले ली। आज सुबह से ही आसमान में बादल छाए रहे और दोपहर बाद अचानक तेज हवा के साथ बारिश ने दस्तक दे दी। यह बदलाव किसानों के लिए किसी संकट से कम नहीं है।
इस समय खेतों में गेहूं की फसल लगभग पक चुकी थी, और कई जगहों पर कटाई के बाद खेत में ही मढ़ाई (अनाज को बालियों से अलग करने की प्रक्रिया) की जा रही थी। लेकिन मौसम की मार ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेरने की कगार पर ला खड़ा किया है।
मढ़ाई का समय बेहद संवेदनशील होता है। यह तभी किया जा सकता है जब मौसम साफ और हवा सूखी हो। बारिश या नमी मढ़ाई की प्रक्रिया को न सिर्फ धीमा कर देती है बल्कि अनाज की गुणवत्ता को भी बिगाड़ देती है। अगर भीगी हुई बालियों को समय पर सुखाया न जाए, तो उनमें फफूंदी लग सकती है या वे अंकुरित हो सकती हैं। इसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ता है।
तेज हवाओं से उन खेतों में फसलें बिछ गईं, जहां अभी कटाई नहीं हुई थी। इससे मशीन से कटाई मुश्किल हो गई है और मजदूरी खर्च बढ़ गया है। वहीं जिन किसानों ने पहले ही फसल काटकर खेत में या खलिहान में रखी थी, वे बारिश से परेशान हैं। गीली फसल को उठाना और दोबारा सुखाना अब उनके लिए चुनौती बन गया है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बारिश हुई तो गेहूं की बालियों में अंकुरण शुरू हो सकता है। इससे अनाज न सिर्फ हल्का हो जाता है, बल्कि ज्यादा समय तक भीगा रहा तो सड़ने भी लगता है। अगर समय पर मौसम नहीं सुधरा, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
स्थानीय किसान कहते हैं, “कटाई चल रही थी, कुछ दिन और मिल जाते तो सारा काम निपट जाता। अब तो लगता है आधी फसल बर्बाद हो जाएगी।” कुछ किसानों ने अपनी गेहूं के ढेर को “तिरपाल से ढंक दिया था, लेकिन हवा इतनी तेज थी कि उड़ाकर ले गई। अब तो सब भीग गया।
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, अगले 48 घंटों तक कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रह सकती है। ऐसे में किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
यह सिर्फ कुछ बूंदें नहीं हैं, ये मेहनत से भरी महीनों की तपस्या पर गिरा खतरा है।
किसानों की निगाहें अब आसमान की ओर हैं, और मन में यही सवाल— "अब क्या होगा?"
रिपोर्ट -जितेंद्र यादव
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