आजमगढ़ जिले के महराजगंज थाना क्षेत्र के जमीलपुर गांव में शव को दफ़नाने के लिए जमीन के विवाद ने विगत दो दिन से राजस्व विभाग व पुलिस प्रशासन के लिए चुनौती खड़ी कर रखी थी जो शनिवार को क्षेत्र के गणमान्य लोगों के हस्तक्षेप से हल हुआ। बतादें कि जमीलपुर गांव निवासी शरीफ की मृत्यु शुक्रवार दिन में होने के बाद गांव के आबादी के बीच विवादित जमीन पर दफ़नाने से शुरू हुआ।
मृतक के परिजन का कहना है कि उक्त जमीन पर वर्षो से उनके परिवार वालों को दफ़न किया जाता रहा है इस लिए मृतक का शव वहीँ पर दफ़नाने की जिद पर अड़े है जबकि नायब तहसीदार के अनुसार उक्त जमीन कब्रिस्तान के नाम न होकर बंजर की भूमि है और विभाग उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन कर रही तथा उक्त जमीन में फैसला न आने तक शव को दफ़नाने से रोक रही है। मामला इतना संवेदनशील हो गया कि तीन थानों की पुलिस बुलानी पड़ी ताकि हालात काबू में रहे। मिली जानकारी के अनुसार उक्त जमीन पर गांव के ही विवेक यादव व मृतक के परिवार जन के बीच विवाद उत्पन्न होने पर मामला उच्च न्यायालय जा पहुंचा है और मुकदमे में मृतक के परिजन द्वारा उक्त भूमि पर जमीन के फैसले तक कब्रिस्तान के रूप में उपयोग न करने का शपथ पत्र भी दिया गया, जिसपर उच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश दे रखा है। परन्तु मृतक के परिजनों ने उसी जमीन पर शव दफ़न करने की जिद पर दो दिन से अड़े रहे। पुलिस प्रशासन व नायब तहसीलदार उन्हें समझाने में लगे रहे परन्तु कोई नतीजा निकलता दिखाई नहीं दे रहा था। जिसपर क्षेत्र के कुछ गणमान्य लोगों ने सुबह से परिजनों को समझाने में लगे रहे और किसी तरीके से मामले को शांत कराया और गांव के ही एक अन्य कब्रिस्तान में शव को दफ़न कराने पर परिजनों को राजी किया तब जाकर प्रशासन ने राहत की सांस ली।
मृतक के परिजन का कहना है कि उक्त जमीन पर वर्षो से उनके परिवार वालों को दफ़न किया जाता रहा है इस लिए मृतक का शव वहीँ पर दफ़नाने की जिद पर अड़े है जबकि नायब तहसीदार के अनुसार उक्त जमीन कब्रिस्तान के नाम न होकर बंजर की भूमि है और विभाग उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन कर रही तथा उक्त जमीन में फैसला न आने तक शव को दफ़नाने से रोक रही है। मामला इतना संवेदनशील हो गया कि तीन थानों की पुलिस बुलानी पड़ी ताकि हालात काबू में रहे। मिली जानकारी के अनुसार उक्त जमीन पर गांव के ही विवेक यादव व मृतक के परिवार जन के बीच विवाद उत्पन्न होने पर मामला उच्च न्यायालय जा पहुंचा है और मुकदमे में मृतक के परिजन द्वारा उक्त भूमि पर जमीन के फैसले तक कब्रिस्तान के रूप में उपयोग न करने का शपथ पत्र भी दिया गया, जिसपर उच्च न्यायालय ने दिशा निर्देश दे रखा है। परन्तु मृतक के परिजनों ने उसी जमीन पर शव दफ़न करने की जिद पर दो दिन से अड़े रहे। पुलिस प्रशासन व नायब तहसीलदार उन्हें समझाने में लगे रहे परन्तु कोई नतीजा निकलता दिखाई नहीं दे रहा था। जिसपर क्षेत्र के कुछ गणमान्य लोगों ने सुबह से परिजनों को समझाने में लगे रहे और किसी तरीके से मामले को शांत कराया और गांव के ही एक अन्य कब्रिस्तान में शव को दफ़न कराने पर परिजनों को राजी किया तब जाकर प्रशासन ने राहत की सांस ली।
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