UP Police Recruitment Exam: यूपी पुलिस के इतिहास में सिपाहियों की भर्ती के लिए सबसे बड़ी लिखित परीक्षा काफी विवाद के बाद आखिरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (सीएम योगी आदित्यनाथ) ने रद्द कर दी। छह माह में दोबारा परीक्षा ली जाएगी। लेकिन उससे पहले परीक्षा में धावा बोलने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सीएम ने दोषियों की पहचान की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपी है. हमारे साथ जानें कि परीक्षा रद्द करने के पांच सबसे महत्वपूर्ण कारण क्या हैं।
सिपाही भर्ती परीक्षा 17 व 18 फरवरी को दो-दो पालियों में आयोजित होनी थी। पहले दिन पहली पाली की परीक्षा के दौरान ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म में कुछ प्रश्न पत्र और आंसर की वायरल होने लगे। पुलिस अधिकारी इसे फेक बताकर नकारते रहे। जो प्रश्न पत्र पहले दिन पहली पाली में वायरल हुआ वह दूसरी पाली के प्रश्न पत्र से काफी मिलता जुलता था। इसी तरह दूसरे दिन भी शाम की पाली का प्रश्न पत्र वायरल हुआ। जिसके चलते पूरी परीक्षा सवालों के घेरे में आ गई।
छात्रों का बढ़ता जा रहा था गुस्सा
परीक्षा निरस्त होने की दूसरी सबसे बड़ी वजह अभ्यर्थियों की एकजुटता रही। प्रदेश के कई हिस्सों में पेपर लीक के आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए। प्रदर्शन की आंच लखनऊ तक पहुंच गई। जिससे परीक्षा निरस्त करने का दबाव बढ़ने लगा।
चुनाव से पहले विपक्ष का दबाव
सरकार को परीक्षा निरस्त करने का दबाव तब और भी बढ़ गया जब विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं पूर्व सीएम अखिलेश यादव, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने सरकार को घेरना शुरू किया और नेता अभ्यर्थियों के प्रदर्शन में हिस्सा लेने लगे। लोकसभा चुनाव में परीक्षा कहीं मुद्दा न बन जाए इसलिए सरकार ने परीक्षा निरस्त करने का फैसला ले लिया।
जांच में सामने आई गड़बड़ी
उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने परीक्षा के अगले दिन ही पेपर लीक समेत अन्य कमियों की जांच के लिए एक आंतरिक कमिटी का गठन किया था। साथ ही अभ्यर्थियों से पेपर लीक के संबंध में प्रत्यावेदन मांगे थे। बड़ी संख्या में प्रत्यावेदन व साक्ष्य बोर्ड को भेजे गए जिन्हें जांच में सही पाया गया।
वायरल पेपर सही थे
पेपर शुरू होने से पहले वायरल हुए प्रश्न पत्रों का परीक्षा स्थल पर बांटे गए प्रश्न पत्रों से मिलान होना भी परीक्षा निरस्त होने की एक बड़ी वजह बना। परीक्षा में 48 लाख से अधिक परीक्षार्थी पंजीकृत थे। ऐसे में इनके आक्रोश का व्यापक असर दिखने लगा था।
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